साहित्यकार शिवमूर्ति और महाभारत के कर्ण की गाथा से सजा गोमती पुस्तक महोत्सव, बिकीं 51 हजार किताबें

Anoop

September 25, 2025

लगभग 51,000 पुस्तकें बिकीं और 2 लाख से अधिक लोग पुस्तक मेले में शामिल हुए

चौथे गोमती पुस्तक महोत्सव 2025 के पहले ही सप्ताह में लखनऊवासियों का जबरदस्त उत्साह

लखनऊ। चौथे गोमती पुस्तक महोत्सव 2025 के पहले ही सप्ताह में लखनऊवासियों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। महज पांच दिनों में लगभग 51,000 पुस्तकें बिकीं और 2 लाख से अधिक लोग पुस्तक मेले में शामिल हुए। यह शानदार उपस्थिति किताबों के प्रति लखनऊ के गहरे लगाव और भारत के साहित्यिक मानचित्र पर उसकी बढ़ती पहचान को रेखांकित करती है। नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी), इंडिया द्वारा आयोजित यह पुस्तक महोत्सव ऐतिहासिक लखनऊ शहर में प्रख्यात लेखकों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का जीवंत मंच बन चुका है, जहां हर उम्र के लोग अपनी रुचि का कार्यक्रमों का आनंद ले रहे हैं।

बाल मंडप की रंगारंग शुरुआत

छठे दिन की शुरुआत बाल मंडप में अमृत नागपाल द्वारा रोचक कठपुतली कथाकथन से हुई। इसके बाद जयश्री सेठी ने माइंडफुलनेस सत्र में बच्चों को सांस संबंधी अभ्यास और कागज़ आधारित गतिविधियों के जरिए मानसिक शांति का अनुभव कराया। आर्ट एंड क्राफ्ट कार्यशाला में नामिक शेर्पा ने बच्चों को रंग-बिरंगे कागज़ी हंस बनाना सिखाया। चौथे सत्र इंटू द स्टोरीलैंड ने बच्चों को कहानियों के महत्व से परिचित कराया।

लेखक से मिलिए: शिवमूर्ति

साहित्यिक संवाद के पहले सत्र में वरिष्ठ कथाकार और उपन्यासकार शिवमूर्ति जी से उनकी रचनात्मकता और अनुभवों पर चर्चा हुई। इस संवाद का संचालन पत्रकार और लेखक अरुण सिंह ने किया। बातचीत में यह बात प्रमुख रही कि साहित्य में गुणवत्ता हमेशा संख्या से अधिक महत्त्वपूर्ण है। शिवमूर्ति जी ने अपने जीवन के प्रसंग भी साझा किए और लखनऊ के पाठकों से अपील की कि वे पुस्तक महोत्सव में आकर साहित्य की दुनिया से और निकटता स्थापित करें।

किशोर साहित्य पर विमर्श

दूसरे सत्र में चर्चित लेखिका आकांक्षा पारे काशिव और सुधांशु गुप्त ने उत्तर प्रदेश पत्रिका की संपादक कुमकुम शर्मा के साथ किशोर साहित्य की विविधता पर विचार साझा किए। इस सत्र का संचालन एनबीटी के सहायक संपादक डॉ. ललित किशोर मांडोरा ने किया। इसमें किशोरों के लिए आकर्षक लेखन की आवश्यकता और चयन के मापदंडों पर चर्चा हुई।

डॉ. साधना बालवाटे से संवाद

तीसरे सत्र में एनबीटी की ट्रस्टी और प्रख्यात लेखिका डॉ. साधना बालवाटे से उनकी कृति ‘अहिल्या रूपेण संस्थिता’ पर संवाद हुआ। संवाद का संचालन आकांक्षा पारे काशिव ने किया। लेखिका ने विविध विषय चुनने की प्रक्रिया, भाषा के चयन और रचनात्मक पद्धति पर विस्तार से बताया। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के प्रति अपनी गहरी आस्था और श्रद्धा व्यक्त करते हुए उन्होंने परिवार, समाज और निजी अनुभवों की भूमिका पर प्रकाश डाला।

कर्णगाथा: महाभारत के उपेक्षित नायक की कथा

छठे दिन का आकर्षण कर्णगाथा का मंचन रहा , जिसे भारतेंदु नाट्य अकादमी (बीएनए) ने प्रस्तुत किया। शिवाजी सावंत की ‘मृत्युंजय’, रामधारी सिंह दिनकर की ‘रश्मिरथी’ और रवीन्द्रनाथ ठाकुर के ‘कर्ण-कुंती संवाद’ से प्रेरित इस नाट्य प्रस्तुति में महाभारत के महानायक कर्ण के संघर्ष, द्वंद्व और जीवन-दर्शन को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया।

संवेदनापूर्ण संवाद और सशक्त अभिनय के जरिए प्रस्तुति ने कर्ण के भीतर के संघर्ष—निष्ठा, न्याय, भाग्य और स्वेच्छा—को जीवंत कर दिया। दर्शक कथा की तीव्रता से गहराई तक प्रभावित हुए। नाटक ने कर्ण की वीरता के साथ-साथ पहचान, सम्मान और नियति जैसे शाश्वत प्रश्नों को भी उजागर किया।

अभी बाकी है उत्सव का सफर

28 सितंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक (प्रवेश निःशुल्क) कार्यशालाएं, लेखक संवाद, बच्चों की गतिविधियां और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। यह महोत्सव लखनऊ में विचारों, रचनात्मकता, साहित्य और संस्कृति की यात्रा को और आगे बढ़ाने का वादा करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *