पारंपरिक लोकगीत, किस्से कहावतों में साहित्यप्रेमियों को खूब किया प्रभावित
हुई परिचर्चा, बच्चों के लिए सत्र रहे आकर्षण, बुक स्टॉलों पर पाठकों की रही भीड़
लखनऊ। चौथे गोमती पुस्तक महोत्सव के दूसरे दिन लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में अवधी की मिठास ने सभी को सराबोर किया। अवध के किस्से, कहावतें, लोकोक्तियां और लोकगीतों ने सबको आनंदित किया। देर रात तक चले पुस्तक मेले में साहित्यप्रेमियों की आवाजाही लगी रही। 100 सक्षम आंगनबाड़ी केंद्रों में पुस्तकालय स्थापित कर बच्चों में प्रारंभिक पठन–पाठन के संस्कार विकसित करने की इस परियोजना की औपचारिक घोषणा गोमती बुक फेस्टिवल में हुई। इस अवसर पर लखनऊ की नौ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
दूसरे दिन की शुरुआत बच्चों के लिए आयोजित खास सत्रों से हुई। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के अंतर्गत राष्ट्रीय बाल साहित्य केंद्र के अनोखे ‘राउंड द रिडल’ में लखनऊ के सैकड़ों बच्चों ने बड़े से कागज पर बैठकर पहेलियों के चित्र बनाए। बी वे संगीत की धुन पर थिरके और पारंपरिक म्यूज़िकल चेयर्स खेल रचनात्मक उत्सव में बदल गया। कहानीकार रंजीता सचदेवा ने अपने कहानीपाठ से बुंदेलखंड की यात्रा कराई। उन्होंने लोकप्रिय भजन ‘ये चमक ये दमक’ से सत्र की शुरुआत की। जिससे बच्चे बुंदेलखंडी भाषा और संस्कृति से परिचित हुए। बच्चों ने ‘नदियां बचाएं, गोमती की धारा सजाएं’ विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता में रंग-बिरंगी कलाकृतियों के जरिए नदियों को प्रदूषण से बचाने की भावपूर्ण अपील की। 28 सितंबर को बाल मंडप में ओरिगामी, कठपुतली कथा-कहन, नाट्य कार्यशालाएं, वैदिक गणित, माइंडफुलनेस सत्र और अनेक रोचक गतिविधियां होंगी।
पुस्तक–प्रेमियों का मेला
225 से अधिक प्रकाशक, 200 से ज्यादा पुस्तक स्टॉलों पर विभिन्न भारतीय भाषाओं की किताबें मौजूद हैं। पहले दिन हजारों लोग गोमती पुस्तक महोत्सव पहुंचे। यहां राष्ट्रीय ई–पुस्तकालय (Rashtriya e-Pustakalaya) का अनुभव भी ले रहे हैं, जिसमें विभिन्न विधाओं और भारतीय भाषाओं की 3,000 से अधिक ई–पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध हैं। साथ ही, आरईपी ऐप (REP App) पर पंजीकरण करने पर एनबीटी प्रकाशनों पर 10% तक की छूट मिलेगी। 28 सितम्बर तक चलने वाले इस महोत्सव में रोजाना सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक (निःशुल्क प्रवेश) कार्यशालाएं, लेखकों से संवाद, बाल गतिविधियां और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। विचारों, रचनात्मकता, साहित्य और संस्कृति की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी।
गोमती पुस्तक महोत्सव में अवधी छाए रंग
‘लेखक गंज’ में दिन की शुरुआत ‘ऑडियो कथाएं: प्राचीन किस्सागोई का नवीन माध्यम’ विषय पर सत्र से हुई। इसमें रामअवतार बैरवा (सहायक निदेशक, आकाशवाणी दिल्ली), विजय कृपलानी (कंटेंट हेड, रेडियो फीवर, लखनऊ) और कहानीकार सबाहत आफरीन ने भाग लिया। ऑडियो कहानियों की शुरुआत, कोविड-19 काल में श्रोताओं की बढ़ोतरी, चुनौतियों और बदलते सामाजिक परिदृश्य में इनके महत्व पर चर्चा हुई। दूसरे सत्र में लखनऊ की आत्मा मानी जाने वाली भाषा और भावभूमि अवधी को समर्पित रही। ‘अवधी की बात’ शीर्षक सत्र में पद्मश्री डॉ. विद्या विंदु सिंह, डॉ. सूर्य प्रसाद दीक्षित और डॉ. राम बहादुर मिश्र शामिल हुए। संयोजन डॉ. राकेश पांडेय ने किया।वक्ताओं ने अवधी में ढली परिचर्चा की शुरुआत कर साहित्यप्रेमियों को प्रभावित किया। चर्चा में अवधी बोलने वालों का इतिहास, भाषा का भूगोल, लोकगीत, क्रांतिकारी आंदोलनों में इसकी भूमिका, सामने आ रही चुनौतियां और वैश्विक परिदृश्य में संभावनाओं पर गहन विमर्श किया।

लोकगायिका मालिनी अवस्थी की गायकी ने किया प्रभावित
पद्मश्री मालिनी अवस्थी और उनके समूह ने लोकगायकी से सभी को आनंदित किया। अवधी की पारंपरिक ठुमरी, कजरी, चैती और भजनों की गायिका व ‘सोनचिरैया’ संस्था की संस्थापक मालिनी अवस्थी ने लोक और आदिवासी कला के संरक्षण व प्रसार में उनके योगदान के लिए उन्हें एनबीटी इंडिया के ट्रस्टी सुशील चंद्र त्रिवेदी ने सम्मानित किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय की स्वर्ण पदक विजेता पूर्व छात्रा रहीं हैं। हाल ही में प्रकाशित उनकी पहली पुस्तक ‘चंदन किवाड़’ चर्चा में है।