19 से 21 सितंबर तक हुआ जलेस का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन बांदा में हुआ
नए पदाधिकारी मंडल, कार्यकारिणी व परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में हुआ चुनाव
बांदा। 19 से 21 सितंबर तक चला जनवादी लेखक संघ का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन बांदा में हुआ। देश के दर्जन भर राज्यों के लगभग 300 लेखकों ने सम्मेलन में शामिल हुए। 19 सितंबर को सम्मेलन का उद्घाटन प्रसिद्ध शायर और वैज्ञानिक गौहर रजा ने किया। गौहर रजा ने वर्तमान परिस्थितियों में सच को जिंदा रखने की चुनौतियों की ओर संकेत किया। विशिष्ट वक्ता पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने अपने वक्तव्य में विस्तार से समकाल की परिस्थितियों पर प्रकाश डाला। सुभाषिनी अली ने ‘अघोषित आपातकाल के खतरे और प्रतिरोध’ विषय पर विचार सत्र हुआ जिसमें भंवर मेघवंशी, नितिशा खलको, शुभा और चर्चित कवि संपत सरल ने अपनी बात रखी। संपत सरल ने अपनी कुछ लघु कथाओं के माध्यम से वर्तमान व्यवस्था पर व्यंग्य किया। दूसरे दिन की शुरुआत प्रतिरोध के सिनेमा से हुई और उसके बाद दिनभर सांगठनिक सत्र चला। रात में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
तीसरे दिन सम्मेलन में प्रतिभाग करने वाले प्रतिनिधियों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट ज्ञान प्रकाश चौबे ने रखी। सम्मेलन के अंत में नए पदाधिकारी मंडल, कार्यकारिणी और परिषद के सदस्यों का चुनाव हुआ, जिसमें चंचल चौहान अध्यक्ष गए चुने गए। चर्चित कवि राजेश जोशी और संजीव कुमार को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। जनवादी लेखक संघ उत्तर प्रदेश के सचिव नलिन रंजन सिंह को राष्ट्रीय महासचिव चुना गया। जलेस महासचिव प्रो नलिन रंजन सिंह ने बताया कि सम्मेलन में केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘बसंती हवा’ पर कथक नृत्य का आयोजन किया गया। चलते-चलते बांदा के स्थानीय कलाकारों द्वारा देवारी नृत्य प्रस्तुत किया गया।