ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के विद्वानों ने बताए उपाय  

Anoop

September 24, 2025

उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग, लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों के सरंक्षण पर कार्यशाला

इंटैक कंजर्वेशन इंस्टिट्यूट, लखनऊ में तीन दिवसीय कार्यशाला की बुधवार को हुई शुरुआत

लखनऊ। पत्थर, चूना, ईंट, लकड़ी एवं मिट्टी जैसी सामग्रियां इमारतों की प्रामाणिकता को सुरक्षित रखने के अलावा क्षरण, नमी एवं दरार जैसी समस्याओं से बचाव में भी सहायक होती हैं। यह बातें धरोहरों को सरंक्षित करने का कार्य करने वाली संस्था इंटैक के निदेशक धर्मेंद्र मिश्रा ने कहीं। वह उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय एवं इंटैक कंजर्वेशन इंस्टिट्यूट, लखनऊ की ओर से ‘ऐतिहासिक भवनों की स्थिति का आंकलन और संरक्षण’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर बतौर विशेषज्ञ बोल रहे थे।

कार्यशाला इंटैक कंजर्वेशन इंस्टिट्यूट परिसर, निराला नगर में हुई। कार्यशाला का उद्घाटन निदेशक, राज्य पुरातत्व निदेशालय रेनू द्विवेदी एवं इंटैक के निदेशक धर्मेंद्र मिश्रा ने किया। उन्होंने इमारतों के संरक्षण के बिल्डिंग सैंपलिंग विधियों पर भी विस्तार से चर्चा की। वास्तुविद एवं प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर, इंटैक प्रतिष्ठा शर्मा ने “कंडीशन असेसमेंट ऑफ बिल्डिंग मैटेरियल फॉर कंजर्वेशन, साइंटिफिक एनालिसिस ऑफ बिल्डिंग एवं लाइम स्लैकिंग मैथड” जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की। प्रयोगशाला के जरिए लाइम स्लैकिंग प्रक्रिया को डिमांस्ट्रेशन के माध्यम करके दिखाया।

रेनू द्विवेदी ने ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यशाला को स्मारकों के संरक्षण की विविध विधाओं से परिचित होने का महत्वपूर्ण अवसर बताया। इंटैक के निदेशक धर्मेंद्र मिश्रा ने संस्थान की कार्यप्रणाली एवं संरक्षण क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। कार्यशाला के तहत इंटैक रिसर्च ऑफिसर अंशिका ने ‘पारंपरिक निर्माण सामग्रियां (Traditional Building Materials)’ विषय पर सचित्र व्याख्यान दिया।

कार्यशाला में पुरातत्व एवं सिविल इंजीनियरिंग विषय के विद्यार्थियों सहित अन्य विधाओं से जुड़े वे प्रतिभागी, जिन्हें स्मारकों के संरक्षण में रुचि है, ने बढ़-चढ़कर सहभागिता की। कार्यशाला में लखनऊ के अलावा गोंडा, कानपुर, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बाराबंकी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी एवं अम्बेडकर नगर सहित अन्य स्थलों के पुरातत्वप्रेमी शामिल रहे। पुरातत्व विभाग के सहायक पुरातत्व अधिकारी डॉ. मनोज यादव, श्री बलिहारी सेठ, अभयराज सिंह, मयंक, अभिषेक, हिमांशु, निर्भय सहित इंटैक इंस्टिट्यूट के कार्मिक भी मौजूद रहे।

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