अच्छी पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी साथी, योग्य पथ-प्रदर्शक बनकर जीवन को आगे बढ़ाने में सहायक होती हैं : सीएम योगी

Anoop

September 20, 2025

लखनऊ यूनिवर्सिटी में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के चौथा गोमती पुस्तक महोत्सव

20 से 28 सितंबर तक चलेगा पुस्तक मेला, 250 से अधिक प्रकाशकों की हजारों पुस्तकें

लखनऊ। भारतीय मनीषा के ज्ञान की अवधारणा बहुत विराट है। भारतीय मनीषा ने शब्द को ब्रह्म माना है, ब्रह्म ही सत्य है। भारतीय ऋषि कहते हैं कि ब्रह्म से उत्पन्न विचार कभी समाप्त नहीं हो सकते हैं। अच्छी पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी साथी हैं। यह बातें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहीं। वह लखनऊ यूनिवर्सिटी में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के चौथे गोमती पुस्तक महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, सलाहकार मुख्यमंत्री अवनीश कुमार अवस्थी, नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत के अध्यक्ष प्रो मिलिन्द सुधाकर मराठे, नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत के निदेशक युवराज मलिक, लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मनुका खन्ना, लेखक, फिल्म निर्माता और इतिहासकार डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेदी मौजूद रहे।

सीएम योगी ने कहा कि अच्छी पुस्तक सदैव योग्य पथ-प्रदर्शक बनकर जीवन को आगे बढ़ाने में सहायक होती है। हमें सामूहिक रूप से पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। प्रदेश के युवा स्मार्टफोन पर समय देने के बजाय केवल 01 घण्टा रचनात्मक पुस्तकों को दें, तो उनका जीवन अधिक सकारात्मक और कल्याणकारी होगा। लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को कम से कम एक पुस्तक अवश्य खरीदनी चाहिए।उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को विश्वविद्यालयों की एक श्रृंखला दी है। दुनिया के पहले विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय का नाम भगवान श्रीराम के अनुज भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर पड़ा। इस विश्वविद्यालय में विज्ञान, गणित, साहित्य, खगोल तथा ज्योतिष के कई विद्वान थे।

आयुर्वेद में सर्जरी के जनक सुश्रुत का सम्बन्ध भी तक्षशिला विश्वविद्यालय से था। पाणिनि का व्याकरण इसी विश्वविद्यालय से आगे बढ़ा। तक्षशिला विश्वविद्यालय को आक्रान्ताओं ने नष्ट कर दिया। वहां के प्रत्येक स्नातक के मुख पर बात होती थी कि अमन्त्रं अक्षरं नास्तिः अर्थात कोई भी अक्षर ऐसा नहीं, जिससे कोई मंत्र न बन सके। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसने अक्षर को कैसे शब्द बनाया है और शब्द का कैसे संयोजन किया है। यदि कोई अच्छा योजकरूपी पारखी मिल जाए, तो बेहतरीन तरीके से संजोकर अच्छी कृति दे सकता है।

सीएम योगी ने कहा कि हमें लेखन तथा चिन्तन प्रक्रिया को आत्म मंथन कर पुनः मजबूती से आगे बढ़ाना होगा। हमारे शिक्षण और धार्मिक केन्द्रों को इसका आधार बनना पड़ेगा। मौलिक कृति पर विचार तथा चिन्तन होना चाहिए। मौलिक कृति के लिए किए गए प्रयास हमें यशस्वी बनाएंगे। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित मौलिक कृति महाकाव्य रामायण भगवान श्रीराम पर आधरित है। तुलसीदास जी ने लौकिक भाषा अवधी में श्रीरामचरितमानस रचकर सुख और दुःख प्रत्येक पक्ष में श्रीराम के चरित्र को लोगों के अन्तर्मन में स्थापित कर दिया।

सीएम योगी ने कहा कि पितृ पक्ष के प्रारम्भ होते ही, रामलीलाओं का मंचन किया जाता है। यह गांव-गांव में अगले दो-तीन माह तक आयोजित होंगे, जिसमें गांव के कलाकार प्रतिभाग करते हैं। ऐसे आयोजन सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकात्मता का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। रामायण जैसी मौलिक कृति रचयिता को अमर कर देती है। हम मौलिक कृति को अच्छी पुस्तकों के सान्निध्य में आगे बढ़ा सकते हैं। स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी एक हद तक सहायक हो सकती है, लेकिन वह सब कुछ नहीं है। यदि आप डिजिटल लाइब्रेरी, वर्चुअल तथा डिजिटल क्लास के साथ जुड़े हैं, तो उसके लिए आवश्यक समय देने के बाद शेष चार से पांच घण्टे अपने पाठ्यक्रम तथा उससे इतर अच्छी पुस्तकों को दें। इससे सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। इस पुस्तक मेले में 250 से अधिक प्रकाशकों की हजारों पुस्तकें मौजूद हैं।

सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का कहना है कि ‘व्हेन सिटीजन रीड्स, द कण्ट्री लीड्स’। जब लोग पढ़ेंगे, तो राष्ट्र आगे बढ़ेगा। पढ़ना और आगे बढ़ना भारत की परम्परा का हिस्सा रहा है। प्रधानमंत्री जी ने ‘एग्जाम वॉरियर्स’ पुस्तक स्वयं लिखी हैं। यदि बच्चे पुस्तक के प्रत्येक टॉकिंग प्वाइण्ट्स का मनन कर अंतःकरण में उतार लें, तो परीक्षार्थियों के मन से प्रतियोगी परीक्षाओं का डर दूर हो जाएगा। उन्हें सफलता की नई राह दिखाई देगी। पुस्तक में लिखे विचार को व्यवहार में उतारने से चुनौतियों का सामना करने का बल मिलेगा। यह पुस्तक महोत्सव प्रधानमंत्री जी के शिक्षा के कार्यक्रम को निरन्तरता प्रदान कर रहा है। आगामी नंवबर में गोरखपुर में पुस्तक महोत्सव होगा।

भारत की वैदिक परपंरा से जुड़े ऋषियों की अमरगाथा वेदों व उपनिषदों में मिलती है

सीएम योगी ने कहा कि भारत की वैदिक परपंरा से जुड़े ऋषियों की अमरगाथा वेदों व उपनिषदों में मिलती है। वैदेह जनकराज की सभा के रत्नों में एक ब्रह्मवेत्ता ऋषि याज्ञवल्क्य थे। उनके ब्रह्म विचारों से राजा जनक अभिभूत थे। ऋषि याज्ञवल्क्य ने अपने आत्मज्ञान से समाज को भी लाभान्वित किया था। याज्ञवल्क्य ऋषि की दो पत्नियां मैत्रेयी और कात्यायनी थीं। दोनों अपने समय की ब्रह्मवादिनी थी। जब भी इतिहास में हम आत्मतत्व की बात करते हैं, तो कात्यायनी और मैत्रेयी की चर्चा अवश्य होती है। एक समय आया जब याज्ञवल्क्य ऋषि को लगा कि स्वयं को ब्रह्म चिन्तन में समर्पित कर देना चाहिए। उन्होंने पूरी सम्पत्ति को दो भागों में विभाजित कर दोनों पत्नियों को देने का निर्णय लिया। कात्यायनी खुश हुई, किन्तु मैत्रेयी ने कहा कि ‘येन अहं न अमृता स्याम्, किमहं तेन कुर्याम्’ अर्थात जिस वस्तु से मैं अमर न हो सकूं, उसे लेकर मैं क्या करूंगी। यह धन नश्वर है। मैत्रेयी ने ऋषि से प्रश्न किया कि आप किस तत्व को ढूंढने जा रहे हैं। मैं आपके साथ उस शाश्वत तत्व को प्राप्त करने के लिए चलूंगी, जो पुस्तकें मुझे दे सकती हैं। उन्होंने 10 आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया।

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