नाचते मोर, गूंजते गीत और भीगी परंपराएं

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July 17, 2025

सावन का महीना भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। यह न केवल धार्मिक आस्था और त्योहारों का समय है, बल्कि प्रकृति, संगीत, कविता और लोक परंपराओं से भी भरपूर होता है। हरियाली, झूले, वर्षा गीत और उत्सव इस माह को आनंद, उल्लास और सौंदर्य से भर देते हैं, जो अन्य महीनों में दुर्लभ होता है।

सावन का महीना साल के सभी महीनों में खास है। यह जितना भक्ति और आध्यात्मिकता के वातावरण से परिपूर्ण होता है, इसका उतना ही अपना सांस्कृतिक प्रभाव भी है, जैसा किसी दूसरे महीने का नहीं। सावन का महीना वर्षा गीतों का भी महीना है। कजरी, झूला, मेला-कैरवा तथा सावनी ये सब लोकराग और वनहटिया गीत केवल रिमझिम बूंदों की झड़ी वाले सावन के महीने में ही सुनायी पड़ते हैं। इसके अलावा इस माह में शास्त्रीय संगीत की भी एक गहन विरासत है। इसी माह में मेघ और मियां मल्हार राग की गूंज पूरे वातावरण को मोहित कर देती है। सावन की घटाएं अपने आपमें कविता हैं। लाखों कवियों ने इन घटाओं के रिमझिम बारिश की है। लेकिन जब ये कविताएं शास्त्रीय संगीत की तान पर सवार होती हैं, तो सावन का महीना अपने आप में एक अनुगूंज बन जाता है।

सावन के महीने का जितना धार्मिक महत्व है, उससे कम सांस्कृतिक महत्व नहीं है। प्राचीनकाल से ही भारत में सावन माह का मतलब हरियाली तीज, कजरी तीज, नाग पंचमी जैसे वर्षा ऋतु से जुड़े त्योहारों का वातावरण रहा है। सावन के हर सप्ताह में कोई न कोई ऐसा त्योहार आता है, जिसके साथ तीज शब्द जुड़ा होता है, जो महिलाओं के उत्सव का पर्याय होता है। सावन के महीने को विशेषकर महिलाओं के उल्लास का महीना भी माना जाता है। इसी महीने में सबसे ज्यादा रंग-बिरंगी चूड़ियां खरीदी और पहनी जाती हैं। इसी महीने में पेड़ों पर झूले पड़ते हैं और इसी महीने में बारिश की बूंदों के साथ वर्षागीतों की तान मिलायी जाती है।

जब झूले पर झूलती हुई महिलाएं कजरी गीतों का समवेता गान करती हैं तो यह प्रकृति के उल्लास का अनुपम नजारा होता है। इसलिए सावन के महीने को स्त्री उत्सव का अनूठा महीना भी कहा जाता है। वैसे दूसरे महीनों में भी तीज की तिथियां आती हैं, लेकिन दूसरे महीनों में तीज की तिथियां संस्कृति और उल्लास का पर्याय नहीं बनतीं। जैसे हरियाली और कजरी गीत जैसी रंगत किन्हीं भी गीतों में नहीं बनती। जब वर्षा की रिमझिम फुहार गिर रही होती हैं, तब ये गीत अनुपम समा बांधते हैं और सावन के महीने के एक एक दृश्य को कल्पना से भी ज्यादा भावपूर्ण बना देते हैं।

झूलों, मेलों और गीतों के इस महीने के प्रभाव से कोई नहीं बच सका। झूला और सावन का जैसा चोली-दामन का रिश्ता है, झूले का वैसा रिश्ता साल के किसी दूसरे महीने के साथ नहीं है। दरअसल, यह प्रकृति के उल्लास का महीना है। सावन के महीने में हर तरफ धरती वर्षा से सराबोर हो जाती है। खेत, वन और सारी सूखी जमीन पानी से लबालब हो जाती है। किसान खरीफ की फसल रोंप चुके होते हैं। घर और प्रकृति में हर तरफ सिर्फ हरे रंग की प्रधानता होती है। जहां तक देखो सिर्फ हरा रंग ही दिखता है। ऐसे वातावरण में जब हर तरफ हरा ही हरा हो, तो लोग सावन को हरियाला मास या हरीतिमा मास भी कह बैठते हैं। दरअसल यह सावन के महीने में प्रकृति के विलक्षण उल्लास का ही प्रतीक है कि जितने धार्मिक उत्सव सावन में होते हैं, किसी और महीने में नहीं होते।

यह महीना इंद्रियों को जगा देने वाले वातावरण का मालिक होता है। जब धरती में रिमझिम बारिश की फुहारे गिरती हैं तो धरती से उठती गीली सौंधी सौंधी खुशबू उसकी संतुष्टि की खुशबू से भरी होती है। इस महीने में चारो तरफ मनो हरी चादर तान दी गई होती है। जहां तक नजर जाती है, सिर्फ हरा रंग ही दिखता है, जो आंखों को बहुत भाता है और दिल को उल्लास से भर देता है। इस महीने में जितना संगीत इंसान में वातावरण के उल्लास से फूटता है, उससे कहीं ज्यादा संगीत प्रकृति से स्वयं भी फूटता है। इस महीने में मोर बिना कहे झूम-झूमकर नाचते हैं और मेढक व झींगुर रात-दिन एक-दूसरे के साथ ताल पर ताल मिलाते हुए नई से नई जुगलबंदियां पेश करते हैं। यह ऋतु सभी जीव जंतुओं के प्रजनन का मौसम भी होता है, इसलिए ज्यादातर जीव जंतु इस मौसम में अपनी खुशी और उल्लास से तरह तरह की मधुर ध्वनियां निकालते हैं, जो दूसरे किसी माह में बहुत कम सुनायी पड़ती हैं।

सावन के महीने में जितने फूल खिलते हैं, दूसरे मौसम ऐसे कम होते हैं, जब इतने फूल खिलते हों। बरसाती शामों में तली, भुनी चीजों की दावत उड़ाने की जो परंपरा है, वैसी खुशी और दावत की परंपरा बाकी महीनों में बहुत कम देखने को मिलती है। रिमझिम फुहारों के बीच इस महीने में जब शिवालयों से मंत्रोच्चार की ध्वनियां दूर दूर तक गूंजती हैं, तो यह महीना अपने आपमें सबसे अनूठा और सांस्कृतिक उल्लास का महीना बन जाता है। यह महीना धर्म और प्रकृति की लोक संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। 

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