नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ में हुआ बाघ दिवस पर कार्यक्रम
वन मंत्री डॉ अरूण कुमार सक्सेना, राज्य वन मंत्री केपी मलिक रहे शामिल
लखनऊ। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि वन मंत्री डॉ अरूण कुमार सक्सेना, विशिष्ट अतिथि राज्य वन मंत्री केपी मलिक, प्रमुख सचिव वन अनिल कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चौधरी समेत कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। चिड़ियाघर लखनऊ की निदेशक अदिति शर्मा, उपनिदेशक उत्कर्ष शुक्ल, क्षेत्रीय वनाधिकारी दिनेश बडोला, वन विभाग एवं प्राणि उद्यान लखनऊ के अधिकारी/कर्मचारी व विभिन्न स्कूलों के बच्चे मौजूद रहे।
बाघ संरक्षण पर आधारित लखनऊ पब्लिक स्कूल, आनन्द नगर के बच्चों ने जागरुकता मैराथन रैली निकाली। वन मंत्री व अन्य अतिथियों ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। रेस्क्यू वेन बाघ एक्सप्रेस को भी हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। बाघ संरक्षण पर नुक्कड़ नाटक हुआ। ललित कुमार वर्मा, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, प्रोजेक्ट टाइगर उत्तर प्रदेश ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम बाघ दिवस सेन्ट पीटर्स बर्ग में मनाया गया था, जिसमें पूरे विश्व को बाघों के संरक्षण के साथ-साथ उनकी संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य दिया गया। आप सभी को जानकर खुषी होगी कि यह लक्ष्य भारत ने सबसे पहले प्राप्त किया है। प्रोजेक्ट टाइगर द्वारा ही सर्वप्रथम बाघ मित्र बनाने की योजना बनायी गयी जिसके अन्तर्गत जंगलों के पास रहने वाले गांव के लागों को बाघ मित्र बनाया गया। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की बाघों पर आधारित तैयार की शार्ट फिल्म दिखाई गई। उप निदेषक, पीलीभीत टाइगर रिजर्व मनीष सिंह, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशुपालन विभाग एवं डॉ राकेश कुमार सिंह की पुस्तक ’बाघों की रहस्मयी दुनिया’ का विमोचन अतिथियों ने किया। पुस्तक में फोटो का संकलन मुख्य वन सरंक्षक सुनील चौधरी का रहा। अनुराधा वेमुरी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीवने कहा कि कि बाघ एक बिल्ली प्रजाति का वन्य जीव है और यह हमारे फूडचेन का मुख्य श्रोत है। वर्तमान में 4 टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश में हैं। 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरूआत हुई। उन्होंने अपील की कि बाघ संरक्षण के सम्बन्ध में आम जनमानस में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करें, अपना सक्रिय योगदान दें।
प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग अनिल कुमार ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में बाघों की संख्या लगभग दोगुनी हो गयी है। प्रदेश में वर्तमान में लगभग 3600 बाघ उपलब्ध हैं। वर्तमान में हमारे पास 4 टाइगर रिजर्व हैं। बाघों की संख्या में वृद्धि होने का सीधा संकेत है कि हमारे जंगलों में भी वृद्धि हो रही है। वन विभाग द्वारा किये गये पौधरोपण से भी जंगल क्षेत्र में वृद्धि हुई है। वन मंत्री डॉ अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम है ’मानव बाघ सह अस्तित्व’। बाघों की संख्या बढ़ानी है और मानव-वन्यजीव-संघर्ष को रोकना है। जंगलों की कटाई शुरू हुई और बाघों की संख्या में कमी होती गयी, इसलिए वनों को बढ़ाना जरूरी है। वन्य जीवों के प्राकृतवास कम नहीं होने चाहिए। अवैध कटान को रोकना है किसी भी सूरत में पेड़ नहीं कटना चाहिए।