इटावा में बन रहे केदारेश्वर मंदिर को लेकर केदारनाथ तीर्थ पुरोहित ने दर्ज कराया विरोध, उत्तराखंड सरकार ने मामले की जांच कराने की कही बात
इटावा में केदारेश्वर मंदिर लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है। वर्ष 2020 से निर्माण हो रहा है
इटावा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इटावा में केदारेश्वर नाम से मंदिर का निर्माण की खूब चर्चा है। इस मंदिर को केदारनाथ मंदिर की कॉपी बताया जा रहा है। मंदिर की बनावट को लेकर केदारनाथ धाम के तीर्थ-पुरोहित विरोध कर रहे हैं। विवाद बढ़ने पर उत्तराखंड सरकार ने इस मामले की जांच कराने की बात कही है। इटावा में केदारेश्वर मंदिर लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर बनी लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है। इस मंदिर का वर्ष 2020 से निर्माण हो रहा है।
केदारेश्वर मंदिर को उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का दूसरा रूप बताया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के वही शिल्पकार कर रहे हैं, जिन्होंने तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्वम के स्टैच्यू को बनाया था। मंदिर की अनुमानित लागत 50 से 55 करोड़ रुपए के आसपास बताई गई है। इस मंदिर की ऊंचाई 72 फीट है। केदारनाथ मंदिर की भांति केदारेश्वर मंदिर के शिखर पर 12 फुट ऊंचा लकड़ी का ‘शिखरम्’ बनाया गया है। इस मंदिर में 3 नंदी स्थापित किए गए हैं।
मंदिर के निर्माण में करीब 500 ट्रक कृष्ण पुरुष शिला पत्थर तमिलनाडु से इटावा लाया गया है.इसका अनुमानित वजन 75 हजार टन है। मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 15 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी पत्थर की कंपाउंड बाउंड्री वॉल बन रही है। मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 4 द्वार, केदारेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह भवन की ऊंचाई 74 फुट है। इस मंदिर में 7 फीट के शालिग्राम की शिला भी स्थापित है। मंदिर परिसर में प्रवेश में केदारनाथ मंदिर जैसा 10 फुट ऊंचा प्लेटफॉर्म बनाया गया है।
आखिर क्या है विवादः दरअसल, अखिलेश यादव ने इस मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर भी किया था। मंदिर का वीडियो डालते ही उत्तराखंड में हंगामा हो गया। तीर्थ पुरोहित ने इस पर कड़ा एतराज जताया। वहीं, उत्तराखंड सरकार ने इसकी जांच की बात कही है। दरअसल, 8 जुलाई 2024 को धामी कैबिनेट ने प्रस्ताव पास किया था इसमें कहा था कि उत्तराखंड चारधाम के नाम या फिर उस शैली में किसी भी मंदिर का निर्माण नहीं होगा। इसके लिए कई राज्यों को पत्र भी भेजे गए थे। कहा गया था कि इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी हो सकती है।
केदारनाथ की हूबहू कॉपी वाला इकलौता मंदिरः अखिलेश यादव जिस केदारेश्वर मंदिर का निर्माण करा रहे हैं वह केदारनाथ की हूबहू कॉपी वाला इकलौता मंदिर है. हालांकि केदारेश्वर नाम के देशभर में 6 बडे़ मंदिर हैं लेकिन इन मंदिरों की डिजाइन केदारनाथ धाम से पूरी तरह से कॉपी नहीं की गई है। इटावा का केदारेश्वर मंदिर ही इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसका ज्यादातर निर्माण केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर कहा जा सकता है।
भाजपा-आरएसएस पीडीए से पूजा-पाठ का हक भी छीनना चाहती है
इस मामले पर सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने कहा कि भाजपा और आरएसएस पिछड़ों और दलितों को भगवान के दर्शन करने और उनकी पूजा करने से भी रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक पिछड़ी जाति के मुख्यमंत्री के सत्ता से हटाने के बाद से जिस तरह से मुख्यमंत्री आवास को गंगाजल से धुलवाने का काम गया। यह उनकी मानसिकता को जाहिर करता है। उन्होंने कहा कि मैं और मेरी पार्टी ऐसी विचारधारा रखने वाले संगठन का सदैव विरोध करता हूं। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस नहीं चाहती कि पिछड़ी जाति के लोग अपने भगवान का मंदिर बनाएं और उनका पूजा अर्चना करें।
देशभर में केदारेश्वर नाम के मंदिर कहां-कहां?
झांसी में केदारेश्वर महादेवःआपको बता दें कि मऊरानीपुर के ग्राम रौनी एवं चितावद के बीच स्थित पर्वत शिखर पर केदारेश्वर महादेव मंदिर है। बनारस के केदार घाट के पास केदारेश्वर मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है। इसी मंदिर के पास गौरी कुण्ड है। इसी को आदि मणिकार्णिका या मूल मणिकार्णिका भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में भी केदारेश्वरःआपको बता दें कि महाराष्ट्र की सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के मध्य में केदारेश्वर गुफा मंदिर स्थित है। कनार्टक में भी केदारेश्वरःकेदारेश्वर नाम से कर्नाटक राज्य के हासन जिले में एक मंदिर स्थित है। असम के हाजो में केदारेश्वर मंदिर है। रतलाम में भी केदारेश्वरःएमपी के रतलाम के सैलाना के पास केदारेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।