बिजली निजीकरण: सलाहकार कपंनी पर अमेरिका में लग चुका है, खुली पोल तो उड़े सभी के होश

Anoop

August 24, 2025

बिजली निजीकरण का प्रस्ताव तैयार करने वाली कंपनी जुर्माना मामले में दोषमुक्त नहीं

नए वित्त निदेशक के आने के बाद ही कंपनी ने अपना भुगतान मांगा तो पोल खुली

लखनऊ। यूपी में बिजली निगमों का निजीकरण करने वाली कंपनी पर अमेरिका में 40 हजार डालर का जुर्माना लग चुका है। प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों का निजीकरण का प्रस्ताव बना रही कंसल्टेंट कंपनी का नया खुलासा सामने आया है। अमेरिका में लगे जुर्माने के मामले में यह कंपनी अभी दोषमुक्त भी नहीं हुई है। वित्त निदेशक के जाते ही कंपनी ने भुगतान मांगा, तो सारी हकीकत सामने आ गई। आनन-फानन में  पत्रावलियां खंगाली जाने लगीं हैं।

निजीकरण प्रस्ताव तैयार करने के लिए सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन को हरी झंडी दी गई है। मामले के खुलने पर पॉवर कॉर्पोरेशन ने कंपनी से जवाब मांगा, तो जवाब में कंपनी ने स्वीकार किया कि उस पर जुर्माना लगा था, लेकिन उसने जमा कर दिया। मामले में दो बार उसके जवाब बदलवाए गए। 

तत्कालीन निदेशक ने कंपनी को दी थी हरी झंडी

इस मामले पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध दर्ज कराया था। लेकिन तत्कालीन वित्त निदेशक निधि कुमार नारंग ने अपने स्तर पर कंपनी को क्लीन चिट दे दी। इससे कंपनी अब भी काम कर रही है। वित्त निदेशक  का कार्यकाल नहीं बढ़ा, नए निदेशक वित्त के रूप में संजय मेहरोत्रा ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इस बीच कंपनी ने अब तक किए गए कार्य के बदले एवज में भुगतान मांगा। इस पर नए निदेशक वित्त ने कंपनी से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल कराई।

सूत्रों के मुताबिक, पता चला कि टेंडर मूल्यांकन कमेटी के सहमति न देने से कंपनी को विधिक रूप से अभी दोषमुक्त नहीं किया गया है। जानकारों का कहना है कि कंपनी तभी दोषमुक्त मानी जाएगी, जब एनर्जी टास्क फोर्स और इंजीनियर ऑफ कांट्रैक्ट की संस्तुति हो। ऐसे में कंपनी का भुगतान फंस सकता है।

निजीकरण की होगी जांच तो और खुलेगी पोल

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूर्व निदेशक वित्त ने जाते-जाते कई कारनामे किए हैं। इनकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले सलाहकार कंपनी का गलत तरीके से चयन किया गया। फिर भ्रष्टाचार के तहत कार्य कराया जा रहा है। निजीकरण के लिए पूर्वांचल व दक्षिणांचल निगमों की संपत्ति की कीमत एक लाख करोड़ से अधिक है। इनका सही मूल्यांकन कर रिजर्व बीट प्राइस निकली जाए तो देश का कोई भी निजी घराना इनके टेंडर में शामिल नहीं होगा।

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