राजभवन, लखनऊ में 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया
लखनऊ। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से स्वतंत्रता दिवस पर राजभवन, लखनऊ में दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरूहुआ। 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर विभिन्न प्रेरणादायी कार्यक्रम हुए। राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम में “शबरी के राम“, “एक दिन मोबाइल बिन“, पर्यावरण पर आधारित लघु नाटक, देशभक्ति समूहगान “हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए“, राजभवन प्राथमिक विद्यालय एवं उम्मीद संस्था के बच्चों ने देवी अहिल्याबाई होल्कर पर भाषण प्रतियोगिता, तथा “नमन उन शहीदों को जो खो गए“ शीर्षक पर कव्वाली की प्रस्तुति दी गई।
उन्होंने सभी कलाकारों को बधाई देते हुए कहा कि राजभवन के विभिन्न प्रभागों ने अपने-अपने विषय पर कार्यक्रम तैयार कर मंच के माध्यम से समाज को पर्यावरण, देशभक्ति, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे विभिन्न मुद्दो पर महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं, जो सराहनीय है। स्वस्थ जीवन जीना भी एक कला है और खानपान उसी के अनुरूप होना चाहिए। मोबाइल पर आधारित नाटक की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल परिवार के सदस्य मोबाइल की वजह से आपस में कम मिलते हैं, ऐसे में यह नाटक एक सार्थक संदेश देता है।
पर्यावरण संरक्षण पर राज्यपाल जी ने कहा कि “इसे नुकसान पहुंचाने का काम हमने ही किया है, इसलिए इसे बचाने और सुधारने की जिम्मेदारी भी हमारी है।” उन्होंने राजभवन में स्थापित मियावाकी वन का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन अधिकारियों ने इसे लगाया था, आज वही लोग इस विषय पर नाटक प्रस्तुत कर रहे हैं, यह प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा चलाए जा रहे ‘हर घर तिरंगा’ अभियान, परंपरागत खेलों के पुनर्जीवन, तथा पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर उनके कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी ने मंत्र दिया है, पहले देश, फिर अन्य कार्य, और आज पूरा देश इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
देवी अहिल्याबाई होल्कर के चरित्र को प्रेरणास्रोत बताते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि आज पूरा देश उनके योगदान को याद कर रहा है। शबरी पर आधारित प्रस्तुति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शबरी कोई साधारण महिला नहीं थीं, उनका जीवन अद्भुत और प्रेरणा देने वाला है। राज्यपाल आनंदीबेन ने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर एक कला छिपी होती है और जब उसे मंच मिलता है, तब वह अभिव्यक्त होती है। इस अवसर पर राजभवन के समस्त अधिकारीगण, कर्मचारीगण व अध्यासितगण सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।