एन चंद्रशेखरन को फिर मिली टाटा संस की कमान, IPO का इंतजार कर रहे निवेशकों को झटका

Anoop

August 1, 2025

टाटा संस की कमान एक बार फिर से एन चंद्रशेखरन को सौंप दी गई है। उन्हें 5 साल के लिए टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। टाटा ट्रस्ट्स में सभी की सहमति के बाद यह फैसला किया गया है। यह फैसला दर्शाता है कि टाटा समूह अपने लीडरशीप में स्थिरता को देख रहा है। वहीं, सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के सभी ट्रस्टियों ने टाटा संस को प्राइवेट संस्था बनाए रखने पर सहमति जताई है। इसके अलावा शापूरजी पालोनजी ग्रुप के संभावित एक्जिट को लेकर भी चर्चा शुरू कर दी गई है। टाटा ट्रस्ट का यह नया फैसला मौजूदा शेयरहोल्डर्स के परिवर्तन के बीच स्थिरता के रास्तों को तलाशता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें, टाटा संस को प्राइवेट बनाए रखने के फैसले ने आईपीओ (IPO News) की उम्मीद लगाए निवेशकों के लिए बड़ा झटका है।

यह पहला मौका है जब टाटा ट्रस्ट्स ने खुलकर टाटा संस से कहा है कि वह एसपी ग्रुप के लिए एग्जिट प्लान बनाए। इससे पहले रतन टाटा के समय में टाटा ट्रस्ट्स ने एसपी ग्रुप के एग्जिट के अनुरोध को ठुकरा दिया था। एसपी ग्रुप चाहता था कि टाटा संस की संपत्ति और देनदारियों को उसकी 18.37% हिस्सेदारी के हिसाब से बांटा जाए, लेकिन टाटा ट्रस्ट्स ने तब मना कर दिया था। टाटा ट्रस्ट्स का नया फैसला ऐसे समय आया है जब आरबीआई ने टाटा संस को 30 सितंबर तक स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने का आदेश दिया है।

लिस्टिंग पर जोर

अगर टाटा संस लिस्ट हो जाती है, तो एसपी ग्रुप को अपने आप ही कंपनी से बाहर निकलने का मौका मिल जाएगा। एसपी ग्रुप 1928 से टाटा संस में शेयरहोल्डर है। लेकिन टाटा ट्रस्ट्स चाहते हैं कि टाटा संस प्राइवेट कंपनी ही बनी रहे। वे आरबीआई के लिस्टिंग के नियम से बचना चाहते हैं। इसलिए टाटा संस ने अपने सारे कर्ज चुका दिए हैं। साथ ही अपने सारे प्रेफरेंस शेयर भी वापस ले लिए हैं। इसके अलावा कंपनी ने आरबीआई से ये भी कहा है कि उसे कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी का दर्जा नहीं चाहिए। उसका अर्जी अभी केंद्रीय बैंक में पेंडिंग है।

टाटा ट्रस्ट्स ने चंद्रशेखरन से कहा है कि वह इसके लिए हरसंभव रास्ता खोजे जिससे टाटा संस की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव न हो। इस मामले पर वह आरबीआई के साथ पूरी तरह से बातचीत करें। ट्रस्ट्स ने यह बात अपने प्रस्तावों में लिखी है। ट्रस्ट्स ने यह भी माना है कि टाटा संस ने लिस्टिंग से बचने के लिए पिछले दो साल और दस महीनों में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के कर्ज चुकाए हैं।

क्यों आई रिश्तों में दरार?

टाटा ट्रस्ट्स और एसपी ग्रुप के बीच पहले टाटा संस की वैल्यू को लेकर भी मतभेद थे। टाटा ट्रस्ट्स, SP ग्रुप के शेयर की वैल्यू टाटा संस की बुक वैल्यू के हिसाब से आंकते थे। इसमें वे इलिक्विडिटी डिस्काउंट भी लगाते थे। वहीं SP ग्रुप का मानना था कि उनके शेयर की वैल्यू टाटा संस की संपत्ति के मार्केट वैल्यू के हिसाब से होनी चाहिए। टाटा संस के पास एसपी ग्रुप के शेयर को खरीदने का पहला अधिकार है। ग्रुप पर काफी कर्ज है, इसलिए उन्होंने टाटा संस में अपनी सारी हिस्सेदारी कर्जदाताओं के पास गिरवी रख दी है।

टाटा और एसपी ग्रुप के रिश्ते तब बिगड़ गए जब साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। इसके बाद दोनों के बीच कानूनी लड़ाई भी चली थी। आखिर में टाटा की जीत हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मिस्त्री को हटाने और कंपनी को पब्लिक से प्राइवेट बनाने के फैसले को सही ठहराया था।

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