सावन की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है जिसका सावन के महीने में विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान भोलेनाथ सपरिवार धरती पर आते हैं। इस वर्ष यह पर्व 23 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से महादेव की पूजा करते हैं। निशीथ काल और अन्य पहर में पूजन के मुहूर्त हैं।
शिवपुराण के अनुसार, सावन मास में आने वाली शिवरात्रि का दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। सावन शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति की दुख और पीड़ाओं को नाश होता है। साथ ही इस दिन व्रत करने से माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा मिलती है। सावन शिवरात्रि के दिन पुराण में वर्णित इस कथा का पाठ करने से व्रत का संपूर्ण लाभ मिलता है।
ऋषि बोले- हे सूतजी ! आपके इन वचनों से हमें बड़ा आनन्द प्राप्त हुआ। अब उसी व्रत को हमें विस्तारपूर्वक सुनाइये। हे सूतजी! क्या इस व्रत को यहां पहले किसी ने किया है और यदि किसी ने अज्ञान से भी किया हो, तो उसका श्रेष्ठ फल क्या होता है- यह कहिये। सूतजी बोले- हे समस्त ऋषियों! इस पर मैं आप लोगों से एक निषाद के इतिहास का वर्णन करता हूं जो सब प्रकार से पापों का नाश करने वाला है।
पूर्व समय वन में गुरुद्रह नाम का एक पापी निषाद रहता था, जो नित्य वन में जाकर मृगों और पशुओं को मारता तथा वहाँ वन में रह कर चोरी आदि दुष्कर्मों को किया करता था तथा बालकपन से लेकर कुछ भी शुभ कर्म नहीं किया था। जब इस प्रकार उस दुष्टात्मा को वन में रहते बहुत दिन हो गये और उससे कोई भी शुभकर्म न बन पड़ा तो एक दिन शिवरात्रि का समय प्राप्त होने पर वह अपनी गर्भिणी स्त्री एवं परिवार के लिए आहार की खोज में वर में घुसा। परन्तु पूरे दिन दौड़-धूप करने पर भी कोई शिकार उसके हाथ न आया। वह सोचने लगा कि आज तो बड़ा ही संकट आया। क्योंकि गर्भिणी स्त्री को तो अवश्य ही कुछ-न-कुछ आहार देना चाहिए।
सावन शिवरात्रि पूजन मुहूर्त
निशीत काल- रात 12.25 बजे से 1.08 बजे तक।
प्रथम पहर की पूजा- शाम 7.26 बजे से लेकर रात 10.6 बजे तक।
दूसरे पहर का पूजा- रात 10.06 बजे से रात 12.46 बजे।
तीसरे पहर का पूजा- रात 12.46 बजे से सुबह 3.27 बजे।
चौथे पहर का पूजा- 24 जुलाई को सुबह 3.27 बजे से सुबह 6.07 बजे तक।