राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर हुआ मोती महल सभागार में कार्यक्रम
आरपी ट्रस्ट फॉर पीस प्रास्पैरिटी एंड जस्टिस का अक्टूबर को हुआ कार्यक्रम
लखनऊ। बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने गांधी जयंती के अवसर पर समाज में विभाजन और नफ़रत फैलाने वाली शक्तियों के खिलाफ एकजुट हो कर संघर्ष का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि आज पूंजीवाद के हावी होने बेरोजगारी और असमानता बढ़ रही है। इस सबसे लड़ने के लिए महात्मा गांधी का रास्ता ही कारगर है। कार्यक्रम आरपी ट्रस्ट फॉर पीस प्रास्पैरिटी एंड जस्टिस की ओर से मोती महल सभागार में हुआ।
सभा में प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि अन्याय के विरुद्ध के विरुद्ध सशक्त आवाज थे। महात्मा गांधी- पहले के गांधी एवं बाद के गांधी में बहुत परिवर्तन है, लेकिन हमें बाद के गांधी को समझना और उसी के अनुरूप चलना पड़ेगा। शहर में प्रबुद्ध वर्ग से भरे सभागार में प्रो रमेश दीक्षित ने गांधी जी के जीवन मूल्यों का पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि दुनिया में जहां भी अत्याचार हुआ, उसका उन्होंने स्पष्टता के साथ मुखर विरोध किया।
संगोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो रूपरेखा वर्मा ने कहा गांधी जी निडरता के प्रतीक हैं। उनके दृढ़ संकल्प को सराहते हुए कहा कि वह प्रत्येक युग में मानवता के लिए याद किए जाते रहेंगे। हमें अन्याय से लड़ने की ताकत भी देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचारों को लेकर हमें दरवाजे- दरवाजे जाना होगा, लोगों के दुख दर्द में शामिल होना होगा
प्रो नदीम हसनैन ने कहा कि समाज आज इंसानियत के उन मापदंडों पर खरा नहीं उतर रहा है। जिसे समाज में अमन का वातावरण बन सके उन्होंने कहा गांधी जी ने समाज के उसे अंतिम व्यक्ति की पीड़ा से चिंतित होकर उसके लिए काम किया। लेकिन आज दुनिया में युद्ध एवं अशांति का वातावरण व्याप्त है, यदि वह होते तो बिना बोले रह नहीं सकते थे।
प्रो रविकांत ने कहा की गांधी जी के विचार भिन्नता के बावजूद वह किसी से दुश्मनी नहीं रखते थे। वर्तमान अंबेडकरवादी एक बड़ी लकीर को छोटी लकीर में तब्दील कर देना चाहते हैं। उन्हें समझना होगा की गांधी जी प्रारंभ से ही जिस समाज की चिंता कर रहे थे, वह समाज कौन है। इसीलिए उन्होंने उसे समाज को सर्वग्राही बनाने के उद्देश्य से डॉक्टर अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनवाया, जिसकी वजह से आज समाज को बहुत कुछ मिल सका है।
गांधीवादी विचारक रामदत्त त्रिपाठी ने कहा कि गांधीजी आज देश के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए मार्ग दर्शक के रूप में है। उनके विचार आज भी दुनिया देश को सही मार्ग दिखाने के लिए उपयोगी हैं, लेकिन क्या कहा जाए जैसी हवा चल रही है उस हवा में बहुत कुछ आवश्यक है कि एक साथ चलकर उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाए।
यह रहे शामिल
संगोष्ठी में राकेश वेदा, वंदना मिश्र, हरि चरण प्रकाश, वीरेंद्र कुमार सिंह, अतहर हुसैन, अनिल त्रिपाठी, कला निधि मिश्रा आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। देवेंद्र वर्मा अमिताभ सुभाष बाजपेई, डॉ रामचंद्र सरस, अरविंद राज स्वरूप, परमानंद, निशात फातिमा, अवंतिका सिंह, कुंमार भवेश चंद्र, अनुराग, डॉ रवीश कुमार, अशोक कुमार, भगवान स्वरूप कटियार, अनमोल मौर्य, अक्षिका सिंह, संजीव सिंह, हरिचरण प्रकाश, राकेश कुमार ओझा, डॉ कृष्णकांत यादव, उबेद नासिर मोहम्मद अब्दुल, ओंकार सिंह, सुरेंद्र अग्निहोत्री, आशीष कुमार, हाफिज किदवई, बदरे आलम, रिजवान, वीरेंद्र त्रिपाठी एडवोकेट, दिलीप मिश्र एडवोकेट, नायर उमर, राजेंद्र सिंह रावत, घनश्याम सिंह, सईद अहमद, रामवती, साइमा खान, डॉ मनोज पांडे, डॉ राकेश पांडे, असगर मेहंदी, फिदा हुसैन अंसारी, अमित कुमार राय, वीरेंद्र मिश्र, शैलेंद्र श्रीवास्तव, सुनील कुमार सिंह, आशीष जैन, सुशील सिंह, अशफाक अहमद, फखरुल हसन, सलीम काकोरी, प्रशांत त्रिपाठी, जुबेर आज़मी सहित अन्य तमाम लोग मौजूद रहे।