विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेशभर में विश्वकर्मा पूजन कर आंदोलन जारी रखने का लिया संकल्प
कर्मी बोले- निजीकरण का निर्णय वापस होने और उत्पीड़नात्मक कार्यवाही बंद होने तक आंदोलन जारी रहेगा
लखनऊ। बिजली कर्मियों ने विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर संकल्प लिया कि अरबों खरबों रुपए की बिजली की परिसंपत्तियों और मशीनों को निजी घरानों के हाथ बिकने नहीं देंगे। लंबे अरसे से आंदोलनरत कर्मियों ने कहा कि दमन और उत्पीड़न के बावजूद निजीकरण का फैसला वापस होने तक संघर्ष जारी रहेगा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर बुधवार को बिजली कर्मियों ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में परियोजनाओं पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की और पूजा के बाद संकल्प लिया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के बिजली संयंत्रों, सब स्टेशनों और मशीनों की अनुमानित लागत एक लाख करोड रुपए है। शासन और पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के कुछ बड़े अधिकारी जिनकी निजी घरानों के साथ सांठगांठ है, इन परिसंपत्तियों और मशीनों को बेचने पर आमादा हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी इन मशीनों और संयंत्रों की प्रति वर्ष विश्वकर्मा पूजा पर पूजा करते हैं और इन्हें अपनी मां मानते हैं। बिजली कर्मियों का इनके साथ बहुत ही भावनात्मक रिश्ता है। पिछले 294 दिनों से संघर्षरत बिजली कर्मियों ने पूजा भी की और निजीकरण के विरोध में विरोध प्रदर्शन का अपना अभियान भी जारी रखा। विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर बिजली कर्मियों ने कहा कि दमन और उत्पीड़न के बल पर निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। बिजली कर्मी अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे, जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों समाप्त नहीं की जाती।
आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद में मुख्यतया बड़ी सभाएं हुई।