भगवान बुद्ध से जुड़े संदर्भों पर शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान ने किया एमओयू साइन

Anoop

September 7, 2025

 ‘बौद्ध पर्यटन की स्वर्ण भूमि, उत्तर प्रदेश’  विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में अनेक बौद्ध भिक्षु, उपासक व छात्र-छात्राएं हुए शामिल

लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश एवं समन्वय सेवा संस्थान, लखनऊ की ओर से ‘बौद्ध पर्यटन की स्वर्ण भूमि, उत्तर प्रदेश’  विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। गगन मलिक फाउंडेशन व समन्वय सेवा संस्थान, लखनऊ के बीच समझौता ज्ञापन संस्थान परिसर में हुआ। कार्यक्रम स्थल पर ललित कला आकादमी के कलाकारों ने पेंटिंग बनाकर भगवान बुद्ध के विभिन्न उपदेशों को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में थाईलैंड के पूज्य डॉ चरन सुथि, मलेशिया से डॉ तेजावरो महाथेर, डॉ गगन मलिक, और प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग मुकेश कुमार मेश्राम, संस्थान सदस्य भिक्षु शील रतन, भिक्षु धम्मानंद विवेचन, तरुणेश बौद्ध,  समन्वय सेवा संस्थान के राजेश चंद्रा, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ प्रफुल्ल गडपाल, डॉ जितेन्द्र राव, अरुणेश मिश्र, बौद्ध संस्थान के निदेशक संस्थान डॉ राकेश सिंह, डॉ धीरेंद्र सिंह सहित अनेक बौद्ध भिक्षु, उपासक-उपासिकाएं, छात्र-छात्राएं व बौद्ध विद्वान शामिल थे।

कार्यक्रम का आरंभ धम्म पद संगायन एवं भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं बुद्ध वंदना से हुआ। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ  व गगन मलिक फाउंडेशन व समन्वय सेवा संस्थान, लखनऊ बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।

संगोष्ठी में डॉ चरन सुथि जी ने दान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ को दान देना भगवान बुद्ध एवं समस्त प्राणियों को प्रत्यक्ष दान देना है। डॉ तेजावरो महाथेर बताया कि उत्तर प्रदेश भगवान बुद्ध के जीवन, उपदेश और यात्रा स्थलों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। उत्तर प्रदेश न केवल भारत में ही नहीं, बल्कि संपूर्ण दुनिया में बौद्ध पर्यटकों एवं अनुयायियों का आकर्षण केंद्र रहता है। मुख्य अतिथि डॉ गगन मलिक ने बताया कि भगवान बुद्ध के धम्म पद को पढ़ना चाहिए, उनको अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए।

प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि उत्तर प्रदेश के प्रमुख बौद्ध स्थलों, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, संकिसा, कपिलवस्तु में पिपरहवा में विकास कार्यों के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्थान एमओयू के जरिए आगे बढ़ेगा, यहां पर शोध कार्य भी चलाये जायें। मुकेश मेश्राम ने बताया कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने बौद्ध परिपथ को विकसित किया है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। राजेश चंद्रा जी ने समन्वय सेवा संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

सदस्य भिक्षु शील रतन ने बताया कि बुद्ध के विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। संस्थान निदेशक डॉ राकेश सिंह ने बताया कि संस्थान समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर बुद्ध के सिद्धांत और शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए प्रयत्नशील है।  भगवान बुद्ध की शिक्षा मानव को दुखों से मुक्ति दिलाने पर केंद्रित हैं। बुद्ध ने ज्ञान, दया, धैर्य, उदारता और करुणा जैसे गुणों को महत्व दिया। बौद्ध धर्म का मूल बुद्ध की शिक्षाओं से बना है। संस्थान सदस्य भिक्षु शील रतन ने आभार जताया।

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