बीएनए में मुकेश मेश्राम ने युवा रंगकर्मियों को बताए सार्थक जीवन जीने के गुर
ओरिएंटेशन कार्यक्रम के तहत बीएनए के नव-प्रवेशित कलाकारों से किया संवाद
लखनऊ। भारतेंदु नाट्य अकादमी (बीएनए) में शनिवार को प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति संचिव मुकेश मेश्राम ने विशेष क्लास ली। ओरिएंटेशन कार्यक्रम के तहत आयोजित क्लास में बीएनए के नव-प्रवेशित कलाकारों के साथ ही सेकेंड सेमेस्टर के कलाकार, बीएनए रंगमंडल कलाकार व शिक्षक भी शामिल रहे। मुकेश मेश्राम ने छात्रों को किताबों की दुनिया से इतर जीवन जीने के रहस्य और आत्मविश्वास बनाए रखने के गुर बताए। उन्होंने सहज जीवन के पंचशील सिद्धांतों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि आपका कर्म आपकी छाया की तरह आपके साथ चलता है। व्यक्ति को इन कर्मों का फल इसी जन्म में मिल जाता है। उन्होंने मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानी सुनाकर बात शुरु की। कहा कि हम उम्र के पड़ाव पर जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं। हमें बहुत कुछ पता चलता रहता है। अगर आपको आगे बढ़ना है, तो उन्हीं बिंदुओं को अपने पास रखें, जिनकी सार्थकता हो।
पहला ज्ञान हमें प्रकृति से मिलता है
मुकेश मेश्राम ने कहा कि हमें पहला ज्ञान प्रकृति से मिलता है। हमें हमेशा प्रकृति के नजदीक रहना चाहिए। जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हुई, तो शहर शोर में बदल गया। आपका शरीर पंच महाभूत से बना है। सभी सेंस नेचर की एनर्जी को महसूस करते हैं। जैसे-जैसे दिन हम प्रकृति से अलग होते हैं, वैसे-वैसे उतने क्लीष्ट होते जाते हैं। जलवायु के आधार पर ही व्यक्तित्व बनता बिगड़ता है। जैसी जलवायु होती है, वैसी ही भाषा होती है। उन्होंने बताया कि बंगाल और महाराष्ट्र में अभिनय का पक्ष बहुत मजबूत है। छोटे-छोटे गांव में भी रंगमंच मिल जाते हैं।

आज मोबाइल व्रत करने की जरूरत
मुकेश मेश्राम ने कहा कि पहले जब मोबाइल नहीं होते थे। तब संवाद और प्रतिबद्धताओं की सार्थकता तय होती थी। ट्रेन में बातचीत के दौरान रिश्ते बन जाते थे। किसी से भी कहीं भी बात शुरू हो जाती थी। आज संसाधनों के बावजूद प्रतिबद्धताओं पर खरे नहीं उतरते। आज मोबाइल व्रत लेने की जरूरत है। महाराष्ट्र के एक गांव में रात सात बजे के बाद दूसरे दिन सुबह सात बजे तक इलेक्ट्रानिक गैजेट की फास्टिंग होती है। इस दौरान बीएनए निदेशक बिपिन कुमार, डॉ सुमित श्रीवास्तव सहित अन्य शिक्षक छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।