आठ वर्षों में प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और उनके विजनरी नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य की दिशा में अनेक कदम बढ़ाए
संस्थान में न्यूरो साइंसेज भवन व अन्य सुविधाओं का लोकार्पण, ब्वॉयज व गर्ल्स हॉस्टल, नर्सिंग कॉलेज के एकेडमिक ब्लॉक का शिलान्यास किया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का बीज 19 वर्ष पूर्व 20 बेड के साथ रोपा गया था, लेकिन आयुर्विज्ञान संस्थान के रूप में इसकी यात्रा पांच वर्षों की है। इन वर्षों में संस्थान ने तेजी से विकास करते हुए 20 बेड के हॉस्पिटल से 1,375 बेड के एक बेहतरीन संस्थान के रूप में स्वयं को स्थापित किया है। आज यह स्टेट ऑफ द आर्ट इंस्टीट्यूट बनने की ओर अग्रसर है। ऐसे अवसर बहुत कम दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री आयुर्विज्ञान संस्थान के 5वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने संस्थान की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट का विमोचन तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले संकाय सदस्यों को पुरस्कृत किया। मुख्यमंत्री जी ने संस्थान के विभिन्न विकास कार्यां का लोकार्पण एवं शिलान्यास और प्रदर्शनी देखी।
लोकार्पित किए गए कार्यां में संस्थान के न्यू ब्लॉक स्थित एडवांस न्यूरो साइन्स सेण्टर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जुग्गौर में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के अन्तर्गत रूरल हेल्थ ट्रेनिंग सेण्टर, एकेडमिक ब्लॉक के 10वें तल पर निर्मित कॉन्फ्रेंस हॉल, लेक्चर थियेटर, कैफेटेरिया तथा मुख्य परिसर को एकेडमिक ब्लॉक से जोड़ने के लिए उपरिगामी फुट ओवर ब्रिज के कार्य शामिल है। शिलान्यास किये गए कार्यां में गोमतीनगर विस्तार स्थित संस्थान के नवीन परिसर में 444 शैय्या युक्त पुरुष छात्रावास एवं 444 शैय्या युक्त महिला छात्रावास, नर्सिंग कॉलेज के लिए शैक्षणिक भवन, उत्तर प्रदेश की प्रथम गामा नाइफ मशीन की स्थापना के कार्य शामिल हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पंचम स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि प्रवृत्ति, विकृति और संस्कृति, यह हमारे जीवन की तीन स्थितियां होती है। बीज का यथारूप रहना उसकी प्रवृत्ति है। इसी प्रकार मनुष्य परिवर्तन तो चाहता है, लेकिन परिवर्तन करने के लिए स्वयं को तैयार करने में हिचकता है। यह यथास्थितिवाद की अवस्था है। ऐसे लोग कोई परिवर्तन नहीं ला सकते हैं। दूसरी स्थिति संस्कृति की है। जब कोई व्यक्ति व्यापक जनहित या राष्ट्रहित में निर्णय लेता है। यह बीज के वृक्ष बनने की स्थिति है, यही संस्कृति है। जब किन्हीं कारणों से बीज सड़-गल जाता है या जब हम अपने कार्यों से किसी संस्थान को अधोगति की तरफ ले जाते हैं, तो यही स्थिति विकृति की होती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जीवन किसी का इंतजार नहीं करता है। हमें काल की गति से दो कदम आगे चलने के लिए अपने आप को तैयार करना होगा। जो व्यक्ति, समाज या देश काल की गति को पहचान नहीं पाता है, वह पिछड़ जाता है। डॉ श्याम नारायण पाण्डेय ने इस सम्बन्ध में कहा था कि ‘यह महाकाल का आसन है, इस पर न किसी का शासन है।’ अर्थात काल की गति पर किसी का शासन नहीं होता है। यदि हम काल की गति से आगे चलेंगे, तभी प्रगति कर पाएंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एसजीपीजीआई, केजीएमयू व आरएमएल में सफलतापूर्वक वर्चुअल आईसीयू की शुरुआत की गई। 75 जनपदों में इसके माध्यम से लोगों को राहत देने का कार्य हुए। इन संस्थानों से ट्रेण्ड मैनपॉवर व मास्टर्स ट्रेनर्स प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सा संस्थानों में भेजे गये। टेलीकंसल्टेशन की सुविधा दूर-दराज के क्षेत्रां, पीएचसी, सीएचसी व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में उपलब्ध कराकर मरीज की स्क्रीनिंग की जा सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्थान में विभिन्न भवनों को जोड़ने के लिए एक फुटओवर ब्रिज, संस्थान के न्यूरो साइंसेज सेन्टर के न्यू ब्लॉक, कॉन्फ्रेन्स हाल, लेक्चर थिएटर व कैफेटेरिया, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जुग्गौर के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के अन्तर्गत रूरल हेल्थ ट्रेनिंग सेन्टर का लोकार्पण किया गया है। ब्वॉयज व गर्ल्स हॉस्टल, नर्सिंग कॉलेज के एकेडमिक ब्लॉक का शिलान्यास किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आईआईटी कानपुर ने मेडटेक पर सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स विकसित करने का कार्य प्रारम्भ किया है। आरएमएल को भी किसी अच्छे संस्थान के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य करना चाहिए। प्रदेश में मेडिकल डिवाइस व फार्मा पार्क के क्षेत्र में बहुत सम्भावनाएं हैं। गौतमबुद्धनगर जनपद में मेडिकल डिवाइस पार्क तथा जनपद ललितपुर में फार्मा पार्क का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। आर0एम0एल0 जैसे संस्थानों को इस दिशा में अपनी भूमिका के लिए तैयार होना होगा। जब मिलकर कार्य होंगे, तो अच्छे परिणाम आएंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आगामी 17 सितम्बर से दो अक्टूबर के मध्य सेवा पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्मदिन, 25 सितम्बर को पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी की पावन जयन्ती व दो अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी तथा देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री जी की पावन जयन्ती है। सेवा पखवाड़ा के कार्यक्रमों की शुरुआत रक्तदान शिविर से होगी। स्वैच्छिक रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित करने का प्रयास होना चाहिए।
आरएमएल को प्रदेश के किसी आकांक्षात्मक जनपद या आकांक्षात्मक ब्लॉक में कम्यूनिटी मेडिसिन का रूरल हेल्थ सेन्टर बनाना चाहिए। भारत-नेपाल बॉर्डर के किसी जनपद का चयन करके वहां की जनजातियों व घुमन्तू जातियों के बीच जाकर अपना कार्य करना चाहिए। इन्हे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। हम ‘वन डिस्ट्रिक्ट-वन मेडिकल कॉलेज’ की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। आर0एम0एल0 को किसी एक मेडिकल कॉलेज को अपने साथ जोड़ कर उसका मार्गदर्शन करना चाहिए। उसे अपना सैटेलाइट सेण्टर बनाना चाहिए। आर0एम0एल0 के स्पेशलिस्ट वहां जाएं। इससे वहां के लोगों को सीखने का अवसर प्राप्त होगा तथा एक नई कार्य संस्कृति विकसित होगी।
आरएमएल की ओपीडी 5,000 है। इसमें और वृद्धि होनी है। हमें प्रयास करना चाहिए कि लोग अपने क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त कर सकें। आरएमएल से एमसीएच और डीएम करने वाले छात्र उन क्षेत्रों में एक-एक सप्ताह का कैम्प करें, वहां की स्थितियों को देखें और जाने कि उन्हें किन परिस्थितियों का सामना करना होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें तकनीक का लाभ लेना चाहिए और लोगों को टेली कंसल्टेशन की सुविधा से जोड़ना चाहिए। आपके संस्थान में केवल जरूरतमंद लोग ही आने चाहिए। जब भीड़ कम होगी, तो डॉक्टर भी मरीज को ज्यादा समय दे पाएंगे और हम स्वास्थ्य के लक्ष्य को अच्छी तरह से प्राप्त कर सकते हैं। हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। विगत 05 वर्षों में संस्थान की उपलब्धियां सराहनीय है। इसे और बेहतर बनाए जाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज आप जो भी कार्य करेंगे, वही विकसित भारत और विकसित उत्तर प्रदेश की आधारशिला बनेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट को डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अलग-अलग डिपार्टमेण्ट को अपनी केस स्टडी प्रस्तुत करने और पेटेण्ट फाइल करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। हर पेशेन्ट आपके लिए एक नया अनुभव लेकर आता है। इनकी केस स्टडी चिकित्सकों के लिए एक अच्छी लाइब्रेरी बन सकती है। हर माह विभागों के कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए। अच्छे कार्यों का उल्लेख होना चाहिए।
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा तथा डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो सीएम सिंह ने भी सम्बोधित किया। संकाय अध्यक्ष प्रो प्रद्युम्न सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो विक्रम सिंह एवं संस्थान सदस्य, रेजिडेण्ट्स तथा विद्यार्थी मौजूद थे।