पीएम मोदी ने वोकल फॉर लोकल का संदेश दिया, स्वदेशी हथियारों की क्षमता की सराहना की
देश दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की खोज कर रहा है जिससे आयात पर निर्भरता कम हो सके
वाराणसी। काशी पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को ‘वोकल फार लोकल’ का संदेश दिया। पीएम ने आधुनिक ड्रोन और रक्षा उपकरणों के निर्माण और कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि आपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने हमारे स्वदेशी हथियारों की क्षमता देखी। वायु रक्षा प्रणालियों, मिसाइलों और ड्रोनों ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत साबित की, खासकर ब्रह्मोस मिसाइलों ने। इन मिसाइलों का निर्माण अब लखनऊ में किया जाएगा।
कई प्रमुख रक्षा कंपनियां यूपी डिफेंस कारिडोर में अपने विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर रही हैं। स्वदेशी के मंत्र को बनारस समेत देश की कई संस्थानों ने आत्मसात भी किया है, इसमें बनारस अग्रदूत बनकर उभरा है।
काशी का किरदार और निखरेगा जबकि समूचा देश वोकल फार लोकल के संस्कार को आत्मसात करने के लिए बढ़ेगा। वोकल फार लोकल के मंत्र से बौद्धिक संपदा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में भी बड़े सुधार किए जा रहे हैं।
उदाहरण के लिए भारतीय रेलवे को दस हजार डीजल और विद्युत चालित लोकोमोटिव प्रदान करने वाला बनारस रेल इंजन कारखाना अब करीब 98 प्रतिशत कलपुर्जों का इस्तेमाल स्वदेशी कर रहा है, पांच साल पहले सिर्फ 20 प्रतिशत कलपुर्जे ही स्वदेशी होते थे।
दूसरे देशों में भी लोकोमोटिव का निर्यात हो रहा है। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से आइआइटी बीएचयू में मालवीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है। यूपी सरकार ने आइआइटी को प्रमुख भागीदार बनाया है।
रक्षा सामग्रियों पर नवाचार के लिए 69 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह केंद्र रक्षा से जुड़े औद्योगिक जरूरतों के लिए कौशल विकास केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उद्योग अकादमिक उत्कृष्टता केेंद्र भी स्थापित करने की तैयारी की है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दी थी। पाउडर धातुकर्म, कार्यात्मक इलेक्ट्रानिक सामग्री और उच्च शक्ति माइक्रोवेव स्रोत और उपकरणों के माध्यम से यह केंद्र रक्षा अनुसंधान की अड़चनों को दूर करने का प्रयास करेगा। इसके अलावा आइडीएशन इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन फाउंडेशन 75 से अधिक स्टार्ट अप विकसित कर चुका है।
ड्रोन, एआइ व मशीन लर्निंग के जरिए युवा नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। वह चिकित्सा, कृषि उद्यमिता और दूसरे विकास कार्यों में नवाचार को शामिल करते हुए मुश्किलों को आसान कर रहे हैं। डीआरडीओ के अलावा सरकार निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों में भी शोध और नवाचार को प्रोत्साहित कर रही है।
देश में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की खोज, खत्म होगी दूसरे देशों पर निर्भरता ईवी, मोबाइल, इलेक्ट्रानिक-इलेक्ट्रिकल, रक्षा उपकरण और परमाणु रिएक्टर आदि वस्तुओं के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (17 रासायनिक तत्व) की चीन-अमेरिका समेत विश्व के कई देशों पर निर्भरता खत्म करने की भी कोशिश है।
बीएचयू समेत देश के 10 ख्यात विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने देश में मौजूद प्राकृतिक संपदा में ऐसे तत्वों की खोज शुरू की है। उनका कहना है कि आधुनिक उपकरणों में आत्मनिर्भरता के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन की आवश्यकता है।