अयोध्या के दीपोत्सव में रामायण काण्ड पर आधारित प्रदर्शनी एवं पुरातन एवं नवीन संस्कृति का अदभुत संगम होगा: जयवीर सिंह

Anoop

October 16, 2025

दीपोत्सव अयोध्या-2025 इस वर्ष भी भगवान श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर श्रद्धा, संस्कृति और सौंदर्य का अद्भुत संगम होगा

रामायण के सातों काण्डों पर आधारित प्रदर्शनी व अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी में बालकाण्ड से उत्तर काण्ड तक के प्रसंग

लखनऊ। सकल सृष्टि को आलोकित करने वाला दीपोत्सव अयोध्या-2025 इस वर्ष भी भगवान श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर श्रद्धा, संस्कृति और सौंदर्य का अद्भुत संगम बनकर उभर रहा है। असंख्य दीपों की ज्योति से प्रकाशित अयोध्या नगरी एक बार फिर ‘सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम्’ के भाव को मूर्त रूप देगी। यह दीपोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के अध्यात्म, मर्यादा और वैश्विक समरसता के संदेश का आलोक है, जो सम्पूर्ण विश्व को “रामत्व” की भावना से जोड़ता है।

इस वर्ष दीपोत्सव के अंतर्गत रामायण के सातों काण्डों पर आधारित भव्य प्रदर्शनी तथा अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में बालकाण्ड से उत्तर काण्ड तक के सभी प्रसंगों को आकर्षक झांकियों, चित्रों, डिजिटल डिस्प्ले और ऑडियो-विजुअल माध्यमों से प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन, मर्यादा और भारतीय संस्कृति के शाश्वत मूल्य जन-जन तक पहुँच सकें।

दीपोत्सव में अंतरराष्ट्रीय रामलीला विशेष आकर्षण का केंद्र होगी, जिसमें रूस, नेपाल, थाईलैंड, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि देशों के कलाकार अपने-अपने देश की रामकथाओं का भव्य मंचन करेंगे। साथ ही भारत के विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार – जैसे श्रीखोल और शाही जात्रा (पश्चिम बंगाल), छऊ नृत्य (झारखण्ड), ढोलु कुनीथा (कर्नाटक), तलवार रास (गुजरात), घूमर-चरी (राजस्थान), झिझिया (बिहार), कावड़ी व कड़गम (तमिलनाडु) तथा बोनालू (आंध्र प्रदेश) – अपनी पारंपरिक प्रस्तुतियों से इस सांस्कृतिक उत्सव को जीवंत करेंगे।

यह समग्र आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल मार्गदर्शन एवं संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री जयवीर सिंह जी के प्रेरक नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है। दोनों ही जनप्रतिनिधियों की दूरदर्शी सोच और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता के परिणाम स्वरूप अयोध्या आज विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित हो रही है। यह दीपोत्सव न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बनेगा, बल्कि “विकसित भारत” के सांस्कृतिक आत्मविश्वास और वैश्विक एकता का भी प्रतीक होगा।

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