‘अतुलनीय अटल जी’ पुस्तक का विमोचन, ‘अटल काव्य गंगा प्रतियोगिता’ के विजेताओं और युवा कवियों को सम्मानित किया
मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय पं अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय पं अटल बिहारी वाजपेयी जी की 7वीं पुण्यतिथि है। एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर स्वयं के कर्मां पर विश्वास करते हुए राजनीति को सेवा का माध्यम बनाकर श्रद्धेय अटल जी ने जीवन के विभिन्न पक्षों को नेतृत्व प्रदान किया। हर क्षेत्र में उन्होंने उत्कृष्टतम करते हुए कुछ नयापन करके दिखाया। मुख्यमंत्री जी आज यहां पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय पं अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने अटल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री जी ने ‘अतुलनीय अटल जी’ पुस्तक का विमोचन तथा ‘अटल काव्य गंगा प्रतियोगिता’ के विजेताओं को पुरस्कृत किया। लखनऊ में हुए काव्य समागम में सुप्रसिद्ध कवि सुरेन्द्र शर्मा ने काव्यपाठ कर खूब प्रभावित किया। कार्यक्रम श्रद्धेय पं अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल फाउण्डेशन ने किया।
सीएम योगी ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश का सौभाग्य है कि आगरा जनपद का बटेश्वर श्रद्धेय अटल जी की पैतृक भूमि है। कानपुर में उन्होंने उच्च शिक्षा अर्जित की। यह एक संयोग है कि पिता व पुत्र दोनों एक ही कॉलेज में एक साथ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। अटल जी ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। हमारी सरकार श्रद्धेय अटल जी की स्मृतियों को जीवन्त बनाए रखने के लिए जनपद बलरामपुर में उनके नाम पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण करा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी ने देश की संसद में लखनऊ से 5 बार प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 10 बार लोक सभा सदस्य, 02 बार राज्य सभा सदस्य तथा 3 बार प्रधानमंत्री के रूप में इस देश को अपना यशस्वी नेतृत्व प्रदान किया। अटल जी की समाज के वंचित वर्ग के प्रति गहरी संवेदना थी। हमारी सरकार ने अटल जी के मूल्यों को समाहित करते हुए श्रमिकों के बच्चों व निराश्रित बच्चों के लिए अटल आवासीय विद्यालय का निर्माण कराया। वर्तमान में 18 मण्डलों में ऐसे विद्यालय बनकर तैयार हो गए हैं। इनमें 18,000 बच्चे अत्याधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। एक ही कैम्पस में उन्हें सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा एक कॉर्पस फण्ड के माध्यम से इन सभी विद्यालयों का संचालन किया जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था व विकास के क्षेत्र में बीमारू राज्य था। आज वह बीमारू नहीं है, बल्कि बीमारी का उपचार कर रहा है। यह हमारे महापुरुषों के मार्गदर्शन और उनकी प्रेरणा से ही सम्भव हो पाया है। हमारी सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया है कि प्रतिवर्ष 05 छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बिट्रेन जाने हेतु श्रद्धेय अटल जी के नाम पर छात्रवृत्ति दी जाएगी। इसमें ब्रिटेन तथा उत्तर प्रदेश सरकार की बराबर की सहभागिता होगी। यह ब्रिटेन की एक प्रतिष्ठित स्कॉलरशिप मानी जाती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अटल जी की स्मृतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। आज अटल जी की 7वीं पुण्यतिथि है। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भी है। भगवान श्रीकृष्ण ने ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ के माध्यम से हमें कर्म की प्रेरणा दी है। ऐसा केवल भारत भूमि में ही हो सकता है कि युद्धभूमि में किसी योद्धा को कर्म की प्रेरणा दी जा रही हो, वह भी धर्मोपदेश के माध्यम से। कुरुक्षेत्र युद्धभूमि थी, वह भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेश के कारण हम सबके तथा आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बन गयी। श्रद्धेय अटल जी ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से वही प्रेरणा हमें दी।
वरदान नहीं मांगूंगा, हो कुछ पर हार नहीं मानूंगा…
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज हमारी सरकार जिन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रही है और उन्हें क्रियान्वित भी कर रही है, पहले लोग इन पर विश्वास नहीं करते थे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब कश्मीर में अनुच्छेद-370 और वहां की परमिट व्यवस्था के खिलाफ ‘इस देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान नहीं चलेंगे’ का नारा दिया था, तो भी लोग हँसते थे। उन्होंने कहा कि जब हमने श्रीराम जन्मभूमि के मुद्दे को उठाया, तो भी लोगों ने अविश्वास व्यक्त किया, लेकिन हमारा नेतृत्व पीछे नहीं हटा। कर्तव्यपथ पर जो भी मिला, यह भी सही, वो भी सही। वरदान नहीं मांगूंगा, हो कुछ पर हार नहीं मानूंगा।’ अटल जी के विषय में यह पंक्तियां पूरी तरह सत्य हैं। यह भगवान श्रीकृष्ण वही कर्म की प्रेरणा है, जिसके लिए उन्होंने इस धराधाम पर एक पूर्ण अवतार के रूप में मनुष्य रूप में जन्म लिया था।